Sunday, November 30, 2008

मुंबई ही नही दिल भी दहले

बुधवार का दिन हर इंसान के लिए खौफ भरा रहा। मैं टीवी देख रहा था की अछानक सभी न्यूज़ चैनल पर मुंबई पर आतंक की कहानी आने लगीं। जो भी टीवी देख रहा था वो सिर्फ़ यही जानना चाहता था की आख़िर ये आतंकवादी आए कैसे। मेरे पत्रकार मन के लिए एक ख़बर थी पर एक इंसान के तौर पर मेरा मन रो रहा था। रातभर टीवी पर निगाह रही। सनिवार का दिन। मुंबई आतंकवादियों की दहसत से मुक्त। कई इंसानों का खून जवानो की सहादत काम आयी। फ़िर सुरू हुआ सलामी देने और आरोपों का दौर।

2 comments:

!!अक्षय-मन!! said...

bahut sahi hai lekin....
bandhu kahani nahi thi wo......
๑۩۞۩๑वंदना शब्दों की ๑۩۞۩๑

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर ...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।